शारदा नारायण अस्पताल गोलीकांड में इत्तेफाक बना रहस्य

शारदा नारायण अस्पताल गोलीकांड में इत्तेफाक बना रहस्य

शारदा नारायण अस्पताल गोलीकांड में इत्तेफाक  बना रहस्य

मऊ- जनपद का सबसे चर्चित अस्पताल जिस पर आए दिन कोई न कोई कारनामा होता रहता है।आज फिर पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।मामला यह है कि दिनांक 21 अगस्त को शहर के गाजीपुर तिराहे पर स्थित शारदा नारायण अस्पताल से यह सूचना मिलती है कि हास्पीटल में गोली चल गई है।मौके पर पत्रकार जब पहुंचते हैं तो अस्पताल प्रशासन द्वारा इस मामले की कोई जानकारी नहीं दी जाती है परंतु हास्पीटल में उपस्थित मरीज और कुछ तिमारदार बताते हैं कि एक गार्ड ने दूसरे गार्ड को गोली मार दी है।तब तक गोली लगने वाले परदहां निवासी विवेक सिंह के परिजन वहां पहुंचते हैं और आक्रोशित होकर वहां झड़प शुरू होती है।

"सीसीटीवी का डीवीआर गायब करने एवं गोली लगने निशान को मिटाया" 

इस बीच मौके पर पुलिस के आला अधिकारी एएसपी,सीओ शहर कोतवाल पहुंचर मामले की छानबीन करना शुरू कर देते हैं। पुलिस की छानबीन में पता चलता है कि जैसा कि पुलिस द्वारा ही बताया गया कि अस्पताल में उपस्थित सीसीटीवी डीवीआर गायब है,उसके तेजतर्रार कोतवाल अनिल सिंह ने जब दबाव बनाया तो अस्पताल प्रशासन द्वारा कहा गया कि सीसीटीवी कैमरा घटनास्थल की जगह खराब है । बहरहाल पुलिस ने सीसीटीवी कंट्रोल रूम को सीज कर दिया और आगे जांच में जुट गई।तब तक घटनास्थल पर मौजूद सीओ सिटी अंजनी कुमार पांडेय ने दिवाल की तरफ ईशारा किया और दिखाया कि दिवाल में तीन फुट के आसपास गोली का निशान बना हुआ है जिसको ताजा पेंट से रंगाई की गई है(फुटेज मीडिया के पास उपलब्ध है)।‌ घटना के बारे में पुलिस जानकारी जुटा ही रही थी कि मौके पर कई रसूखदार पहुंच गए और एक बंद कमरे में पुलिस के साथ मीटिंग होने लगी। घटनास्थल पर पहुंचे पीड़ित के साले ने मीडिया से आकर स्वयं कहा और बयान भी दिया कि आप लोग अंदर जाइए देखिए क्या हो रहा है? मुझे शक है कि मामले को दबाया जा रहा है।इस बात की शंका पीड़ित के परिजनों ने भी मीडिया से जाहिर की। चुंकि मीडिया को अंदर जाने से रोक दिया गया था इसलिए अंदर घुसने के प्रयास में पीड़ित के साले से अस्पताल के गार्ड की तीखी झड़प हुई और हाथापाई तक की नौबत आ गई। बहरहाल पुलिस के आला अधिकारी बंद कमरे से बाहर निकले और सीओ सिटी ने बयान दिया कि इस मामले की जांच की जा रही है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि गार्ड सीढ़ी से ऊतर रहा था और हाथ से बंदूक छूट गई और गोली चल गई। वहीं अस्पताल के मैनेजर ने एक ग्रुप में लिखा कि गार्ड आपस में हंसी ठिठोली कर रहे थे और गोली चल गई(स्क्रीन साट उपलब्ध है)।
    
"घटना को इत्तेफाक बताकर सीसीटीवी फुटेज छिपाना बना रहस्य" 

चुंकी एक गार्ड की बंदूक से दूसरे गार्ड को गोली लगना यह मीडिया के लिए एक खबर थी और जब खबर चलाई गई तो अस्पताल प्रशासन के मैनेजर द्वारा मीडिया को खुलेआम चुनौती दी गई कि खबर कहीं चली तो अस्पताल प्रशासन द्वारा मुकदमा किया जाएगा।जिसपर कई निष्पक्ष पत्रकार आक्रोशित हुए और खबरों की हकीकत को दिखाए।बहरहाल सवाल यह उठता है कि आखिर अस्पताल और पुलिस इस मामले को जब इत्तेफाक मान रही है तो सीसीटीवी फुटेज छिपाया क्यों जा रहा है? प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस बंदूक से गोली चली है वह शारदा नारायण अस्पताल के मालिक डा०संजय सिंह के नाम है और लाइसेंसी बंदूक का नियम होता है कि यदि आप अपना असलहा किसी दूसरे को गार्ड के रुप में दे रहे हैं तो वह आपके साथ दो मीटर की परिधि में रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं था।शायद इसीलिए सीसीटीवी फुटेज नहीं उपलब्ध हो पा रहा है।
चुंकि प्रथमदृष्टया अस्पताल के मालिक डा० संजय सिंह की इस घटना में कोई संलिप्तता नजर नहीं आ रही है। लेकिन घटना से साक्ष्य को मिटाना एवं पुलिस को गुमराह करना भी एक अपराध की श्रेणी में आता है। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यही वारदात अगर किसी आम ब्यक्ति से होता तो अस्पताल के कमरे बैठकर न्यायाधीश द्वारा न्याय किया जाता?
क्या किसी आम ब्यक्ति के लिए भी "इत्तेफाक" शब्द का प्रयोग किया जाता?
  यह बहुत बड़ा उनपर भी सवाल है जो घटना को "इत्तेफाक" बता रहें हैं। बहरहाल इस मामले को पुलिस इत्तेफाक भी मान रही और दुर्दांत माफिया रहे विरप्पन जैसी मूंछे रखने वाले गार्ड सोनू विश्वकर्मा पर हत्या करने के प्रयास का मुकदमा (BNS109) के तहत मुकदमा कर जेल तो जरूर भेज दिया लेकिन "इत्तेफाक" का रहस्य अभी भी बरकरार है।