एक गांव ऐसा जहां चोरी की दी जाती है ट्रेनिंग और चोरों का होता है टेंडर ।

एक गांव ऐसा जहां चोरी की दी जाती है ट्रेनिंग और चोरों का होता है टेंडर ।

एक गांव ऐसा जहां चोरी की दी जाती है ट्रेनिंग और चोरों का होता है टेंडर ।

अंतर्राष्ट्रीय चोर गिरोह का  पर्दाफाश,28 मोबाइल संघ 3 चोर गिरफ्तार ।

मऊ- जनपद में लगातार हो रही मोबाइल चोरी की घटना से पुलिस महकमा भी सख्ते में आ गया था, सबसे बड़ी बात यह रही कि चोरी होने के बाद ईएमआई नंबर को सर्विसलांस पर लगाने के बावजूद भी मोबाइल ट्रेस न होने के कारण पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई थी। मोबाइल चोरी की हो रही लगातार घटना के मद्देनजर पुलिस अधीक्षक इलामारन जी ने एक टीम गठित कर इसकी जांच शुरू करा दी थी जिसके बाद लगातार मोबाइल चोरी की घटनाओं का पुलिस मानिटरिंग कर रही थी कि सुराग मिलने के पुलिस ने झारखंड प्रदेश के ज़िला साबहगं,थाना तालझारी के महराजपुर निवासी तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर मोबाइल चोरी गिरोह का पर्दाफाश किया है ।

बांग्लादेश में बेचते हैं मोबाइल इस वजह से नहीं पकड़ में आता है ईएमआई नंबर 
  चोरों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सीओ सिटी अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि यह लोग मऊ एवं आसपास के जनपदों में मोबाइल चोरी का काम करते थे इसके बाद मोबाइल को यह लोग बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल में एक स्थान पर ले जाकर मोबाइल का लाक तोड़वाते थे और वहां से इनके गिरोह के सदस्यों द्वारा इसको बांग्लादेश पहुंचा दिया जाता था जिसके कारण मोबाइल का ईएमआई नंबर नहीं ट्रेस हो पाता था।और मंहगी मोबाइल को यह लोग आधे और तिहाई दाम पर बेच देते थे। पहले भी इस गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी की गई थी और इनमें से दो व्यक्तियों गोलकिया एवं छोटू कुमार के ऊपर 50 हजार का ईनाम था एवं शेखर महतो को गिरफ्तार कर संबंधित धारा में मुकदमा कर इनके ऊपर विधिक कार्रवाई करते हुए न्यायालय में पेश किया जाएगा।

10 साल की अवस्था में बच्चे को स्कूल की जगह दी जाती है चोरी ट्रेनिंग।

  मोबाइल चोर गिरोह का पर्दाफाश करने में एसपी द्वारा गठित टीम में एसओजी प्रभारी मनोज कुमार सिंह एवं सर्विलांस प्रभारी प्रमोद सिंह के साथ‌ इस मामले का नेतृत्व कर रहे कोतवाल मऊ सदर अनिल सिंह ने बताया कि इन चोरों की गिरफ्तारी के लिए इनके गांव जाने पर पता चला कि इनके गांव में चोरों का टेंडर होता है जो जितना सफाई से चोरी करता है उसकी बोली उतना ज्यादा लगती है।सबसे बड़ी बात इस गांव के बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं बल्कि 10 साल की अवस्था से चोरी की ट्रेनिंग दी जाती है।ओर जब बच्चा चोरी करने में पारंगत हो जाता है तो उसके परिवार वालों से चोरों का सरदार बोली लगता है।इस घटना के खुलासे में पता चला कि एक चोर की बोली काम से काम 30 हजार रूपए महीना लगाकर उनको सरदार द्वारा बताए गए जगह पर काम करना होता है।