हीस्ट्रीशीटर से लाइव रोमांस करते थानाध्यक्ष दोहरीघाट का विडियो हुआ वायरल ।
हिस्ट्रीशीटर ने खुद विडियोकाल की रिकॉर्डिंग कर धमाकेदार गाने के साथ रील बनाकर फेसबुक पर किया शेयर ।
मऊ(दोहरीघाट)- थानाध्यक्ष दोहरीघाट संजय सरोज उटपटांग कारनामें के लिए लगातार क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं।ज्ञात हो कि विगत दिनों एक अपराधी से उसकी धारा को कम करने के लिए घूस का मोलभाव करने की रिकॉर्डिंग वायरल हुई जिसमें चौकी इंचार्ज मांदी सिपाह को एएसपी की जांच के बाद सस्पेंड कर दिया गया था, गौरतलब है कि उस रिकॉर्डिंग में थानाध्यक्ष दोहरीघाट के नाम से डिलिंग हो रही थी लेकिन संयोगवश रिकार्डिंग में स्पष्ट न होने के कारण अपर पुलिस अधीक्षक की जांच में थानाध्यक्ष दोहरीघाट बाल-बाल बच गए । लेकिन अपने बचने की खुशी में थानाध्यक्ष दोहरीघाट ने एक भव्य पार्टी दी और उस पार्टी में सस्पेंड हुए चौकी इंचार्ज को माल्यार्पण कर सम्मानित करने की भी विडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।जब इस बात की जानकारी उच्चाधिकारियों को लगी तो सूत्र बताते हैं कि काफी डांट-फटकार के बाद फिर मामला शांत हो गया । चुंकि इस समय पुलिस भर्ती परीक्षा में सभी उच्चाधिकारी ब्यस्त हैं इसलिए यह मामला भी दब गया।अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि थानाध्यक्ष की एक हिस्ट्रीशीटर जो अभी हाल ही में गैंगस्टर में निरुद्ध होने के बाद जमानत पर आया अंकुश यादव से विडियो काल पर बेडरुम में रोमांस करते हुए विडियो वायरल हो गया। सबसे बड़ी बात यह रही कि इस रिकार्डेड विडियो में हिस्ट्रीशीटर अंकुश यादव द्वारा एक रील बनाया गया है जिसमें एक भोजपुरी गाना लगा है कि "नफरत तो बहुत लोग करेला लेकिन केहू कुछ उखाड़ ना पाई" इस बोल के बाद गोली चलने की आवाज आती है और फिर मुजरा शुरू होता है जिसमें थानाध्यक्ष दोहरीघाट संजय सरोज हंस-हंसकर शातिर अपराधी से रोमांस करते हुए नजर आ रहे हैं।इसके बाद अपराधी द्वारा अपने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर इस रील को शेयर किया जाता है।जिसके बाद देखते ही देखते यह विडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी।गौरतलब है कि इस रील को शेयर करने के पीछे गैंगेस्टर अंकुश यादव की मंशा स्पष्ट झलक रही है कि जब थानाध्यक्ष उसके दोस्त हैं तो कोई उसका क्या उखाड़ सकता है।यहां पर यह कहावत भी चरितार्थ हो रही है कि "जब सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का"और यह रील में गाना भी बज रहा है। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार एवं पुलिस के आला अधिकारी जहां एक तरफ पुलिस की छवि सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रहें वहीं थानाध्यक्ष दोहरीघाट द्वारा कारनामें पर कारनामा करने के बावजूद भी उच्चाधिकारियों का महबूब बनना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।