घोसी तहसील बना दलाली-उगाही का अड्डा! न इलेक्टोरल बॉन्ड, न छापेमारी, सीधी उगाही

घोसी तहसील बना दलाली-उगाही का अड्डा! न इलेक्टोरल बॉन्ड, न छापेमारी, सीधी उगाही

घोसी तहसील बना दलाली-उगाही का अड्डा! न इलेक्टोरल बॉन्ड, न छापेमारी, सीधी उगाही

घोसी तहसील बना दलाली-उगाही का अड्डा! न इलेक्टोरल बॉन्ड, न छापेमारी, सीधी उगाही

मऊ(आजाद पत्र):- घोसी तहसील दलाली और उगाही का अड्डा बन गया है। यहां कोई भी काम बिना दलालों के होना संभव नहीं है। छोटा हो या बड़ा काम, यहां बिना सुविधा शुल्क दिए कोई काम नहीं हो सकता है। तहसील प्रशासन की इस अघोषित व्यवस्था से वादकारी और हर आमो-खास परेशान और व्यथित है। आलम ये है कि अफसरों के इशारे पर अड्डा जमाए दलालों के रवैय्ये और धन उगाही से त्रस्त लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इसकी बानगी हाल की एक वायरल वीडियो में देखने को मिली लेकिन जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सो रहा है। इन दलालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय अफसर इन्हें बचाने की जिगत में लगे हुए हैं।

दरअसल बीते दिनों दलालों की उगाही से त्रस्त एक व्यक्ति गैलन में ज्वलनशील पदार्थ लेकर तहसील परिसर में दाखिल हुआ और अचानक उसने अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ डालना शुरू किया और जोर-जोर से पंकज यादव और तहसीलदार का नाम लेकर चिल्लाने लगा। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक व्यक्ति तहसीलदार और उनके स्टाफ द्वारा रखे गए प्राइवेट टाइपिस्ट पर लगातार घूस लेने का आरोप लगा रहा है। साथ ही ज्वलनशील पदार्थ से भरा गैलन अपने ऊपर डाल रहा है और न्याय की गुहार लगा रहा है।

वह अपने साथ हुई नाइंसाफी से तहसील परिसर में इकट्ठा भीड़ से रूबरू करा रहा है। वायरल वीडियो में वह व्यक्ति साफ कह रहा है कि पंकज यादव ने उससे ₹5000 लिया है और ये भी कह रहा है कि पंकज यादव ने कहा जब तहसीलदार साहब ₹25000 लेंगे तभी आपका काम होगा। वायरल वीडियो में वह व्यक्ति पंकज यादव और तहसीलदार पर रिश्वत लेने का आरोप लगा रहा है। 
यह देख वहां मौजूद भीड़ में तहसील में हो रहे काले कारनामों पर लोग थू-थू कर रहे हैं। कई लोगों ने तो यहां तक जानकारी दी कि तहसील के हर दफ्तर में चाहे एसडीएम कोर्ट का ऑफिस हो तहसीलदार कोर्ट का ऑफिस हो, माल बाबू का दफ्तर हो या तहसीलदार का दस्ता हो पंकज यादव जैसे लोग भरे पड़े हैं। बिना सुविधा शुल्क दिए कोई काम नहीं होने वाला है। तहसील का चक्कर लगाते-लगाते आपका जूता घिस जाएगा।

वायरल वीडियो में व्यथित पीड़ित व्यक्ति को देख तहसील न्यायालयों के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। न्याय चला निर्धन के द्वार को कैसे ये लोग मिलकर पलीता लगा रहे हैं। इस वीडियो में साफ नजर आ रहा है। अब सवाल ये है कि तहसीलदार और उनके  मुलाजिमों के काले कारनामों से तहसील न्यायालयों की अस्मिता खतरे में नहीं है? क्या तहसील की गोपनीय फाइल कोई प्राइवेट व्यक्ति टाइप कर सकता है? व्यवस्था बनाकर किस तरह प्रशासन और न्याय की परिपाटी ये भ्रष्ट अफसर ध्वस्त कर रहे हैं ये इसका सबसे सटीक उदाहरण है।

इस तरह के लोगों की वजह से क्या तहसील न्यायालयों की गोपनीयता भंग नहीं हो रही है? जब इस तरह का कृत्य हो रहा है तो क्या तहसील न्यायालयों की आईडी पासवर्ड ऐसे प्राइवेट लोगों को देना उचित है? इस यक्ष प्रश्न का जवाब तहसील के किसी अफसर और करप्शन के ठेकेदार में नहीं है। तहसील परिसर में हुए एक कांड के बाद इलाके में लोगों की जुबान पर यही चर्चा है कि ऊपर से लेकर नीचे तक करप्शन की गंगा बहाई जा रही है। ED, IT, CBI के छापे और उगाही की कहानी की और इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए उगाही की कहानी से भी इन मामलों को जोड़कर भ्रष्टाचार की मसालेदार कहानियां और किस्से चट्टी-चौराहे पर लोगों की जुबान पर हैं।