घोसी तहसीलदार के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
- धर्मेन्द्र पाण्डेय योगी सरकार के लिए बनेंगे पनौती!
घोसी। घोसी तहसीलदार धर्मेन्द्र पाण्डेय की मनमानी और अड़ियल रवैया तहसील कर्मियों और वकीलों के साथ ही वादकारियों के लिए नित नई समस्या का कारण बन रहा है। केंद्र की मोदी और सूबे की योगी सरकार जनहित और न्याय के दावे करती है, लेकिन उनके ही तहसीलदार ने सरकारी दावों के साथ ही न्याय की परिवाटी को भी रौंदकर रख दिया है। तहसीलदार की एक से बढ़कर एक करतूत से जिले में प्रशासनिक अमले के कामकाज के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं। वकीलों और वादकारियों ने विधि और मैनुअल के प्राविधानों के विपरीत राजस्व व जुड़े अन्य न्यायिक कार्य करने के आरोप लगाए हैं। तहसीलदार के भ्रष्टाचार और अड़ियल रवैये से नाराज घोसी के अधिवक्ता और वादकारी उनकी शिकायत जिलाधिकारी से कर चुके हैं। जिलाधिकारी ने पहले ही तहसीलदार के खिलाफ जांच बैठा रखी है। लेकिन उनके कामकाज का अंदाज अब तक जरा भी नहीं बदला है। क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने तहसील दिवस पर जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान अधिवक्ताओं ने तहसीलदार के काले कारनामों से डीएम को अवगत कराया। अधिवक्ताओं ने डीएम से बताया कि घोसी के तहसीलदार कोर्ट में न्याय की परिपाटी कराह रही है। वादकारी और अधिवक्ता तहसीलदार की करतूत से त्रस्त हैं। तहसीलदार द्वारा तहसील में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। घोसी के तहसीलदार डा. धर्मेंद्र पाण्डेय ने अपने न्यायालय की पत्रावलियों में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मैन्युअल में दी गई व्यवस्था व विधिक प्राविधानों के विपरीत जाकर आदेश पत्रक लिख दिया। इतना ही नहीं, एंटीडेटेड कार्यवाहियां भी की है और उन कार्यवाहियों को जस्टिफाई करने के लिए तहसीलदार ने लिखित आदेश पत्रक को बदला और नया आदेश पत्रक लिखकर, केस डायरी के पन्नों को बदलकर अभिलेखों में हेरा-फेरी व टेंपरिंग करके आदेश पारित किए हैं। ऐसे कई मामले तहसील परिसर में लोगों की जुबान पर हैं। घोसी के तहसीलदार के इस भ्रष्ट कार्य प्रणााली से कलेक्ट्रेट और तहसील बार के अधिकतम अधिवक्ता आहत हैं। घोसी के तहसीलदार डा. धर्मेंद्र पाण्डेय के विरुद्ध घोसी तहसील परिसर ही नहीं अपितु आसपास के पूरे इलाके में आक्रोश पनप रहा है। वादकारियों और वकीलों ने घोसी तहसीलदार हो तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है। तहसीलदार के विरुद्ध शिकायत के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता शमशाद अहमद, कालिका दत्त पाण्डेय, महेंद्र सिंह, सैयद अहमदुल्लाह, देवेंद्र पाण्डेय, राजू निगम, राजेश कुमार, कैलाश राम, सतीश पाण्डेय, ब्रह्मदेव उपाध्याय, सुतीक्षण मिश्र, बृजेश पाण्डेय, जयहिंद यादव, ऋषिकेश कुमार सिंह, जय प्रकाश, जितेंद्र मौर्य, अनिल मिश्र, अखिलेश सिंह, अरविंद सिंह, संजय मौर्य, बिजेंद्र राय, राम प्रवेश, राम बदन यादव, उमेश और संतोष राजभर समेत बड़ी तादाद में अधिवक्ता एवं कई वादकारी शामिल रहे।