आरोप सिद्ध होने के बावजूद लेखपाल कैलाश वर्मा का नहीं किया जा रहा निलंबन
यदि कैलाश वर्मा लेखपाल की कराई जाए आय से अधिक संपत्ति की जांच तो इनके भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा होगा
विशाल भारद्वाज

लखीमपुर खीरी । अरसे से तहसील लखीमपुर में तैनात चले आ रहे लेखपाल कैलाश वर्मा ने अपनी तैनाती के दौरान कथित प्रॉपर्टी डीलरों एवं साधन संपन्न रसूखदारों व सजातीय लोगों के साथ मिलीभगत करके करोड़ों रुपए की सरकारी जमीने राजस्व दस्तावेजों में खुर्द बुर्द करकर इधर से उधर कर भू माफियाओं कथित प्रॉपर्टी डीलरों के साथ साथ अपने सजातीय दबंग एवं साधन संपन्न रसूखदारों को सौंपकर अनुचित लाभ पहुंचाने का काम किया था जिसके एवज में सभी से मोटी रिश्वत राशि लिए जाने के आरोप भी लगे थे वैसे भी लेखपाल कैलाश वर्मा अपनी कार्यशैली के खासे चर्चित माने जाने वाले लेखपाल रहे हैं या अक्सर अखबारी सुर्खियों में रहने वाले लेखपाल जाने जाते हैं नाम गुप्त रखने की शर्त पर विभागीय सूत्रों द्वारा यहां तक बताया गया है कि लेखपाल कैलाश वर्मा द्वारा सरकारी जमीनों का दोहन कर काफी नामी बेनामी संपत्ति बना डाली है अपने सदर क्षेत्र की स्थानीय शहर की लेखपाली के दौरान ना जाने कितने तालाबों को कब्जा कराकर उनका नामोनिशान मिटा दिया इनके कारनामों की केहरिस्त में रामनगर कॉलोनी के पास स्थित भुइया माता मंदिर के निकट तालाब को मशहूर दूध व्यवसाई को कब्जा कराकर मोटी कमाई करने तथा देवकली रोड स्थित एक तालाब को अपने सजातीय ग्राम प्रधान के ससुर लाल बहादुर को कब्जा कराकर अपनी तिजोरी भर ली है इतना ही नहीं देवकली रोड स्थित रिक्त पड़ी मरघट की जमीन पर अपनी नजर गड़ा दी और इन जमीनों को भी अप्रत्यक्ष रूप से बेच दिया कैलाश वर्मा के द्वारा कारित भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है इन जनाब ने बड़े भारी भारी घोटाले किए हैं और खुद को मालामाल कर लिया मरघट हो या फिर सीलिंग की जमीन सब कुछ बेच खाया लेखपाल साहब के लिए मुख्यमंत्री के आदेश ना के बराबर ऊपर से नीचे तक पहुंच रही कमाई की धनराशि के चलते जिम्मेदार अपने लेखपाल को बचाने के लिए नित नए तरीके निकाल रहे हैं अब इनके विरुद्ध हुई शासन स्तर पर शिकायतों की जांच आख्या में लगाए गए आरोपों की पुष्टि भी हुई है और इनको आज तक अभिलेखों में छेड़छाड़ कर खुद की गई है इतना सब होने के बाद भी एसडीएम सदर इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं ऐसी क्या मजबूरी है सत्ता का दबाव है या फिर गुलाबी नोटों की चमक कार्यवाही में रोड़ा बन रही है ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की निती कैसे सफल होगी।