मिर्जापुर, 19 जुलाई 2021: जब से केंद्र में मोदी जी की सरकार आई है, इस देश के किसानों पर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। विकास की अंधी दौड़ में विनाश की ऐसी इबारत लिखी जा रही है जिसने इस देश के अन्नदाताओं के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। वादा तो किसानों की आय दोगुनी करने का था लेकिन अब तो उनसे किसानी का हक़ भी छीना जा रहा है।
ताज़ा मामला नमामि गंगे पेयजल परियोजना का है, जिसके तहत सरकार बांधों का पानी नलों के ज़रिए हर घर तक पहुंचाने की बात कर रही है। इस परियोजना का एक स्याह पक्ष यह है कि इसका सबसे बुरा प्रभाव लगभग 200 गावों के उन किसानों पर पड़ेगा जिनका भरण पोषण बांधों के जलाशयों के डूब क्षेत्र में खेती पर निर्भर है और जिन्हें इस परियोजना के कारण खेती करने से रोका जा रहा है। मिर्जापुर में पीने के पानी की समस्या है इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता, लेकिन पानी का गिलास थमा कर किसानों के हाथ थाली खींच लेना, उनके मुंह से निवाला छीन लेना कौन सी समझदारी है? ऐसा भी नहीं है कि इस समस्या का समाधान नहीं है। साल 2012-17 की विधानसभा में अपने कार्यकाल के दौरान मड़िहान विधानसभा में पेयजल की समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने अपने क्षेत्र के लगभग 170 गांवों में सौर ऊर्जा से संचालित पानी की टंकियों का निर्माण कराया। जो किसानों को बिना उजाड़े उन्हें पेयजल की समस्या से निजात दिलाने का एक प्रयास था। यह बातें मड़िहान विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष ललितेश पति त्रिपाठी ने कहीं।
उन्होंने प्रेस को जारी अपने बयान में जानकारी देते हुए कहा कि मेरे परबाबा स्व. पंडित कमलापति त्रिपाठी और बाबा स्व. पंडित लोकपति त्रिपाठी के कार्यकाल में मिर्जापुर में विभिन्न नदियों को बांध कर सिंचाई के लिए बांधों और जलाशयों का निर्माण कराया गया। उस वक़्त इन जलाशयों के निर्माण में जिन किसानों (जिसमें मुख्यत: आदिवासी एवं दलित शामिल हैं) की ज़मीनें चली गईं उन्हें इस शर्त पर विस्थापित किया गया कि उन्हें डूब क्षेत्र में खेती का अधिकार होगा। इस शर्त के तहत सिंचाई विभाग इन आदिवासियों/किसानों को हर 5 साल के लिए जमीनों का पट्टा करता रहा। लेकिन नमामि गंगे पेयजल परियोजना की शुरुआत होते ही ये पट्टे निरस्त कर दिए गएं। किसानों/आदिवासियों को शासन की तरफ से चेतावनी भरी चिठ्ठियां भेजी जाने लगीं। खेती करने की सूरत में मुकदमे दर्ज करने की धमकियां दी जा रही हैं। मिर्जापुर जनपद की सांसद केंद्र सरकार में मंत्री हैं और मड़िहान के विधायक राज्य सरकार में मंत्री हैं जिन्हें इन्ही किसानों ने चुनकर लोकसभा और विधानसभा में भेजा है लेकिन इनके पास इन किसानों की पीड़ा जानने का वक़्त नहीं है।
त्रिपाठी ने कहा की जल्द ही कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल इन पीड़ित किसानों से चर्चा कर इनकी समस्या और समाधान पर एक मसौदा तैयार करेगा। और इसके आगे की रणनीति के बारे में मीडिया को अवगत कराएगा। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता संकट की इस घड़ी में पीड़ित किसानों के साथ खड़ा है। अगर सरकार बातचीत से नहीं मानेगी तो पार्टी आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेगी। अतः मीडिया के माध्यम से प्रशासन और सरकार से मेरा यही निवेदन है कि अपनी चिरपरिचित हठधर्मिता का त्याग कर किसानों से संवाद की शुरुआत करें। क्योंकि जिस परियोजना का नाम माँ गंगा के नाम पर रखा गया है यदि उसके चलते एक व्यक्ति भी ठगा हुआ महसूस करता है तो माँ गंगा हमें माफ़ नहीं करेंगी।