अयोध्या और कांची कामकोटि पीठम का बेहद पुराना नाता है:- शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती
अयोध्या(आज़ाद पत्र):- राम नगरी में राम मंदिर आंदोलन में शहीद राम भक्तों की आत्मा की शांति के लिए सरयू तट के किनारे स्थित राम की पैड़ी परिसर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के तत्वाधान में दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिस में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे। दीपदान कार्यक्रम से पूर्व श्री राम जन्मभूमि परिसर में श्राद्ध कार्यक्रम और तर्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया साथ ही साथ एक भंडारे का भी आयोजन किया गया। जिसमें ट्रस्ट के पदाधिकारी और अन्य सदस्य शामिल हुए। राम जन्मभूमि परिसर से एक यात्रा निकाली गई जो राम की पैड़ी परिसर तक पहुंची। इस यात्रा में ट्रस्ट के तमाम सदस्य शामिल रहे।

यात्रा के दौरान राम भक्तों की आत्मा की शांति और उनके अमर होने के नारे भी लगाए गए। शाम ढलने ही राम की पैड़ी परिसर में 11000 दीपक जलाकर शहीद राम भक्तों को श्रद्धांजलि दी गई। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। भगवान राम के मंदिर के लिए बड़ी संख्या में राम भक्तों ने अपने प्राणों का बलिदान किया है। उन सभी की पहली और अंतिम इच्छा यही थी कि राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर का निर्माण हो। जो आज उनकी इच्छा पूरी हो रही है। इसलिए उनकी आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पितृपक्ष के मौके पर उनका श्राद्ध तर्पण और दीपदान कार्यक्रम के माध्यम से उनकी आत्मा की शांति के लिए यह आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में तमिलनाडु के कांची कामकोटि के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती अपने शिष्यों के साथ मौजूद रहे उनके निर्देशन में दीपदान कार्यक्रम संपन्न हुआ। शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने बताया कि अयोध्या और कांची कामकोटि पीठम का बेहद पुराना नाता है। मां कामाक्षी के आशीर्वाद से महाराजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। इसका प्रमाण आज भी कांची कामकोटि के कामाक्षी मंदिर में उपलब्ध है।अयोध्या और कांची कामकोटि का बेहद करीबी संबंध है। शिला पूजन का कार्यक्रम 5 अगस्त को हुआ था उसी दिन हमारे पूज्य गुरु महाराज कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी का जन्म दिवस भी था। यह सभी सहयोग अयोध्या और कांची कम कोटि के संबंधों को चरितार्थ करते हैं।