कभी मकर संक्रांति पर गुलजार रहने वाला जलाशय आज अपनी बदहाली पर बहा रहा आँसू..

..करहां। मुहम्मदाबाद गोहना तहसील अंतर्गत शमशाबाद ग्रामसभा के पश्चिमी छोर पर स्थित ग्रामसभा दरौरा के पूर्वी छोर से लगा हुआ वर्ष भर जल से भरा रहने वाला जलाशय आज गंदगी और उपेक्षा का शिकार है। जहां कभी मकर संक्रांति पर हजारों लोग पुण्य स्नान किया करते थे तथा इसके विशाल आंगन में पतंगबाजी एवं विभिन्न खेल खेलते थे वहां अब चारो ओर मल-मूत्र एवं गंदगी दिखाई देती है। यह एक ऐसा पोखरा रहा है जहां शमशाबाद, दरौरा, घुटमा, नगपुर एवं दपेहड़ी के ग्रामीण अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रयोग करते रहे हैं। यहां स्नान, पिंडदान, घाट कर्म, कपड़े धोने से लेकर इसके पानी से दाल पकाने तक की क्रियाएं होती रही हैं। किसी भी प्रकार की दाल इस जलाशय के पानी मे पकाने से शीघ्र ही गल जाती रही है। शमशाबाद के प्रतिष्ठित नागरिक स्व. ठाकुर हरिपाल सिंह के परिवार द्वारा बनवाया गया यह सर्वजन हिताय यह जलाशय खासकर दरौरा ग्रामसभा के नईबाज़ार मुहल्ले के निवासियों के लिए तो वरदान स्वरूप रहा है। यहां के लोग नहाने धोने, ताना-बाना करने से लेकर देर शाम तक इसके प्रांगण में बैठकर दुःख-सुख साझा किया करते थे।जिस प्रकार प्रायः नगरीय सभ्यता और संस्कृति का बसाव नदियों के तटीय इलाकों में हुआ ठीक उसी प्रकार ग्रामीण सभ्यता और संस्कृति में जलाशयों का विशेष योगदान रहा है। लेकिन आज यह शमशाबाद का जलाशय दोनों ग्रामसभा के नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा घोर उपेक्षा का शिकार है। स्वस्छ भारत अभियान के तहत जहाँ हर घर में शौचालय बनने के बावजूद यहां मल-मूत्र त्यागकर गंदगी फैलाई जा रही है। नईबाज़ार मुहल्ले का गंदा नाबदान का पानी इसमें छोड़ा जा रहा है, जिससे जलाशय का जल प्रदूषित हो रहा है। जब सरकारें विभिन्न जलश्रोतों के संरक्षण के प्रति विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही है और अमृत सरोवर जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं ऐसे में कभी समृद्धिशाली इतिहास सजोये इस जलाशय की दुर्दशा एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है।

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