चुनावी चकल्लस में गवंई बदकही
पात्र1- बगेदन चचा 50 वर्ष
पात्र 2- खेलावन चचा के 55 वर्ष
दृश्य – बगेदन चा- अरे! ए खेलावन इ देखबा! ई नेतवन के तनिको लाज शरम ना रहि गइल बा…. दांत खोदते हुए बगेदन चा ने कहा।
खेलावन- अरे! का भगल हो बगेदन।
बगेदन-अरे ई देखबा ई अरवा, स..र..वा हर सलिए पार्टी बदलत बा अउर जहां जात बा ओंहीं जीत जात बा।…
खेलावन- अरे मरदवा तूहंऊ त लरचते हवअ! एम्मे इनहन क कवन दोष बा,सबसे ढेर त सूतिया जनता न बा! कि इनहन के बेर-बेर जितावत बा!
बगेदन-हं हो लेकिन इ जेतना पर्टिया बा सब क सब आपन भगइयो बेच दिहले हवन सअ; आखिर इ कुल ना लेतं अपनी पर्टिया में त ई सब कइसे जइतं।एम्मे इनहन क कवन दोष बा! जेही के लाभ मिली उहे ई काम करी ।
खेलावन- अरे मरदवा सही कहला ह तूं ! तनी हऊ न देखअ डोमपरकसवा क! ई त स..र.. वा अऊरी आगी मू….
ऊ अपरधिया के बेटवा ओकरी पर्टिया से विधायक भइल ! फिर पानी पी ..पी गरिअवलस अब थू..के चटलस।
अब कहत बा ऊ अपरधिया क बेटवा ओकरी पार्टी क ना ह।
बगेदन-तूंहऊ मरदवा सही में अंतर्राष्ट्रीय सूतिया हवअ का! एम्मे डोमपरकसवा क कवन दोष ! इ पर्टिया वाले अगर ओके ना लेतं कुल त ऊ कइसे आवत! तूहंऊ बस उन्हनें क गीत गइब कहब देश भगत हवें सब।अरे सब कुल उहे हवें!
खेलावन-देखअ ए बगेदन लार मत चातअ. अब ढेर बोलत हवअ ! इ बताव! तुहार ऊ नकटेढवा बड़ा नीक ह का! हरदम अपरधियवनें क त साथ देला ! आ उहऊ ! त इनहन के लिहले रहे! तब ना कहलअ।
पिंटुआ(खेलावन क बेटा)- ए…पापा..आ..आ! आव खा ल नौ बज गइल ।
आ चुप रहु सारे! देखत हवे इहां चूर में चूर फंसल बा तोंके खइले भागल जात बा।
बगेदन- ऐ खेलावन तूहार इज्जत करिंला त ढेर पुलूंईं पर मत चढ़अ!ना त ठीक ना पड़ी!
खेलावन-काहें नकटेढवा क नऊवा लेते तू चिटके लअ। अच्छा छोड़ा! घोसी में जवन तूहरे पर्टिया से लड़त ह ऊ बड़ा नीक ह का! उहो! त रासबिहारिए हअ!
बगेदन चिटिकते हुए- नाहीं त तूहार पर्टिया क अरवा बड़ा नीक हवे। दलबदलुआ ..
गोलुआ-(बगेदन क बेटा)- ए बाबू जी… माई बोलावति ह आवअ खा लअ नाहीं त केवाड़ी बंद हो जाई।
अरे ई कुल त चैन से बोलहू बतियावे ना दिहें…भगतिन के नींद आवे लगल .. बुदबुदात बगेदन खटिया से उठलन! चल हो खेलावन भाई खा लिहल जां नाहिं त ए सरवन के चक्कर में फांके काटे के पड़ी।
सुखिया( खेलावन क मेहरारू)- अरे! अबहिंन रजनितिया ना टूटल। बोहरिया पैठे तूहन लोगल के! टर्र …टर्र चिल्लात हईं तबसे ।
झट से खेलावन खटिया छोड़त हवें…अरे आवत त हइं रे! का हरदम पाचर ठोंकले रहेली ।
चला हो बगेदन भाई कुछ गलती सही कहा गइल होई त माफ करिहअ! अउर धनवा में पनियां कल तनीं चला दिहअ! भगवानों त लगत ह ई नेतवनों से बढ़ि के मदारी हो गइल हवें । राजस्थान में बाढ़ आवत ह। आ हमहन के खोलि के देखावत हवें!
…… प्रवीण
