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Wednesday, October 4, 2023

भारतीय किसान यूनियन टिकैत की होगी ट्रैक्टर रैली

Report -Madan Sarswat Mathura
-रैली को सफल बनाने के लिए पदाधिकारियों ने किया गांवों में जनसंपर्क

मथुरा। भाकियू टिकैत शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पर ट्रैक्टर रैली का आयोजन करेगी। इस दौरान खेत और किसान से जुड़े मुद्दों को उठाया जाएगा। रैली को सफल बनाने के लिए संगठन के कार्यकर्ता लगातार बैठक और जनसंपर्क कर रहे हैं। बरौली में बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की गई। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर महानगर वृंदावन के कार्यकर्ताओं ने वृंदावन के आसपास सुनरख, बाबूगढ़, देवी आर्टस, परखम, बड़ी आर्टस, जोनई आदि गांवों में जनसंपर्क अभियान चलाया। 11 अगस्त को मथुरा में होने वाली ट्रैक्टर रैली को सफल बनाने के लिए किसानों से अधिक से अधिक संख्या में ट्रैक्टरों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचने का आह्वान किया। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के महानगर अध्यक्ष पवन चतुर्वेदी, वृंदावन नगर अध्यक्ष भगवानदास निषाद ने संयुक्त रूप से कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर मथुरा महानगर के आस पास के गांवों में संगठन का विस्तार किया जा रहा है। संगठन को मजबूत करने के लिए मथुरा महानगर के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में अभियान चलाया गया है। गांव गांव जाकर सदस्यता अभियान चलाकर किसानों की समस्याओं को भी सुना जा रहा है। राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर 11 को किसानों की विभिन्न समस्याओं के संबंध में ट्रैक्टर रैली के साथ मथुरा कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा। जिसमें अधिक से अधिक संख्या में सभी किसान टोपी लगाकर अपने ट्रैक्टरों के साथ मथुरा कलेक्ट्रेट पहुचेंगे। यह ट्रैक्टर रैली किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। अधिक से अधिक किसानों को संगठन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान पवन कुमार शर्मा, कान्हा तिवारी, श्यामवीर चौधरी, गिरधारी लाल चौधरी , अशोक, सुधीर, राधावल्लभ, धर्मवीर, हेमराज, पिंटू, अर्जुन सिंह, सुंदर, गजेंद्र, गिरधारी, बलराम सैनी, रामचंद्र सैनी,। सूरज निषाद, परसोत्तम तोमर, विनोद निषाद, पंडित अनिल शर्मा आदि मौजूद रहे।

ये हैं किसानों के मुद्दे
संगठन के नेताओं का कहना है कि अपने चुनावी एजेंडा में किसानों को निशुल्क विद्युत आपूर्ति एवं किसानों का शत प्रतिशत कर्ज माफी की बात कहने वाली सरकार चुनाव जीतने के बाद इन्हें भूल गई है। किसानों के ट्रैक्टर तक पर पाबंदी लगा दी गई है। छुट्टा गोवंश का मुद्दा सरकार भूल गई है। गोशालाएं कागजों में चल रही हैं। फसल बीमा की रकम किसानों को नहीं मिलती है। समर्थन मूल्य के नाम पर किसानों के साथ छल किया जा रहा है।

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