भांवरकोल । कारगिल युद्ध के विजय दिवस पर ग्राम कनुवान पारस राय के दरवाजे पर आयोजित पूर्व सैनिकों के कार्यक्रम में देश के बहादुर जवानों के जज्बे को सलामी दी गई। इस मौके पर सूबेदार मेजर रविंद्र नाथ पान्डेय ने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान से लड़ते हुए भारत के कुछ जवान शहीद हो गए थे। लेकिन कारगिल युद्ध में विजय भारत के नाम कर गए। इतिहास के पन्नों पर यह दिन गौरव का दिन है। भारतीय सेना के सम्मान का दिन है। इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ के खिलाफ ऑपरेशन विजय में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को पूरे भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रव्यापी अभियानों के माध्यम से विशेष रूप से युवाओं में राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना जगाना और बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देना हैसमारोह विजय दिवस को सशस्त्र बलों के उन बहादुर सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने पाकिस्तानी सेना द्वारा घुसपैठ और कब्ज़ा किए गए सभी पोस्ट पर फिर से नियंत्रण करने में अपना जीवन न्योछावर कर दिया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन विजय (कारगिल युद्ध) यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक सशस्त्र संघर्ष था जो लद्दाख के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा के साथ अन्य स्थानों पर हुआ था। यह 60 दिनों से अधिक (मई और जुलाई 1999 के बीच) लड़ा गया था और अंत में भारत ने अपने सभी क्षेत्रों पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया। 60 दिनों के लंबे संघर्ष में, टाइगर हिल की जीत महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।इस.मौके पर ,सूबेदार देवेंद्र मिश्रा , धर्मदेव मिश्रा , अच्छैबर राय ,सुरेश राय, काशी कनौजिया, रवि देव मिश्रा बरमेश्वर पांडेय, पारस मिश्रा, बलेसर राय ,प्रेमशंकर पांडेय, अमित राय ,विद्यासागर राय ,ब्रह्मानंद पांडेय आदि लोग मौजूद रहे।
गाज़ीपुर: कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
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