कुख्यात जीवा ने गाड़ी की बोनट पर चढ़कर विधायक कृष्णानंद राय पर AK47 से चलाई थी गोली
लखनऊ(आज़ाद पत्र):- कहा जाता है कि पाप का घड़ा भर जाता है तो फूटता जरुर है आज कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की जज के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। वैसे तो जीवा रहने वाला पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का था। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था।

इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
परंतु जेल में संपर्क में आने के बाद मुन्ना बजरंगी और जीवा मुख्तार अंसारी गिरोह का सबसे विश्वसनीय और सार्प सूटर बन गया था।वैसे तो संजीव माहेश्वरी का नाम गाजीपुर के मुहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद से सुर्खियों में आने लगा था परंतु जब उसने 10 फरवरी 1997 को पूर्वांचल के बाहुबली माने जाने वाले भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में इसका नाम आया जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। तब तक यह जरायम की दुनियां में अपना सिक्का जमा चुका था।

सूत्र बताते हैं कि पूर्वांचल में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम मुख्तार अंसारी गिरोह के सूटरों में सबसे अहम किरदार के रूप सामने आया।
कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआl

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर दो दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में उसकी संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी।

जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद थाl
भाजपा विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद जेल में बंद संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की पत्नी ने अपने पति की हत्या की आशंका जताई थी जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी रालोद से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है। उसने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से अपने पति की सुरक्षा की गुहार की थी।पायल का कहना है कि पेशी के दौरान षड्यंत्र के तहत उनके पति की हत्या कराई जा सकती है। उन्होंने पति की सुरक्षा के लिए सीजेआई से उच्चाधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया था।
वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसर हार्डकोर क्रिमिनल संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को हमेशा बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर लाया जाता था कोर्ट में पेशी पर। वही आज बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के ही कोर्ट मे लाया गाया था संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को।
जीवा की सुरक्षा के लिए बुलेट प्रूफ़ जैकेट को लेकर कोई आदेश कोर्ट द्वारा पुलिस को नहीं दिया गया थाl दो दरोगा 3 हेड और 5 सिपाही कुल 10 आदमी ड्यूटी पर लगाए गए थे सुबह 8:00 बजे पुलिस जेल से संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को निकले थे न्यायालय लाने के लिएl बाहर बैठकर कोर्ट की पुकार की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी यह घटना घटी। वकील के भेष में आए जीवा को गोली मारने वाला विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत, जौनपुर को पुलिस ने कोर्ट रूम से ही गिरफ्तार कर लिया था।
हत्याकांड की जॉच के लिए मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय SIT का किया गठन l
● मोहित अग्रवाल ADG टेक्निकल ● नीलब्ज़ा चौधरी
● प्रवीण कुमार आईजी अयोध्या
मुख्य्मंत्री ने एक हफ्ते मे जॉच पूरी करने का दिया निर्देश।