@ अब सलाखों के पीछे गुजरेगी माफिया की जिंदगी
मऊ – मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया का वह चेहरा जो अपने 26 साल के राजनीतिक एवं आपराधिक इतिहास में पूर्वांचल ही नहीं देश का बड़ा माफिया डान बन गया था। अपने बर्चस्व को कायम रखने से लिए मुख्तार अंसारी ने समय-समय पर हर उस शक्स को किनारे लगा दिया जिससे मुख्तार को अपने राजनीतिक एवं अपराधिक वर्चस्व को खतरा नजर आया।आइए जानते हैं मुख्तार अंसारी के राजनीतिक एवं आपराधिक इतिहास के बारे में
मुख्तार अंसारी का राजनीतिक इतिहास
1996 में बहुजन समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़कर मुख्तार अंसारी जनपद मऊ की सदर विधानसभा से पहली बार विधायक बना इसके बाद 2002, में निर्दल(सपा समर्थित) चुनाव जीता तथा 2007 के चुनाव में भी निर्दल (सपा समर्थित) चुनाव जीता 2012 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाई तथा इसी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़कर जीता इस बार सपा और बसपा दोनों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे ,वहीं 2017 के चुनाव में पुनः बसपा के बैनर तले चुनाव जीता तथा 2022 तक विधायक रहा। इस प्रकार कुल पांच बार लगातार विधायक रहने के बाद बाद मुख्तार अंसारी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी और 2022 में इसी सीट से अब्बास अंसारी विधायक बने। अपनी विरासत सौंपने के पीछे कहा जाता था कि मुख्तार को पता था कि उसको सजा होगी इसीलिए समय रहते अपने बेटे को अपनी विरासत सौंप दी थी हांलांकि विधायक रहते हुए भी मुख्तार अंसारी दो बार वाराणसी से एवं दो बार घोसी लोकसभा का भी चुनाव लड़ चुका है। परंतु इसमें मुख्तार को पराजय का सामना करना पड़ा था।
मुख्तार अंसारी का आपराधिक इतिहास
मुख्तार अंसारी पर इस समय तक कुल 61 मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें से अब तक कुल 5 मामलों में मुख्तार अंसारी को सजा हो चुकी है।
@पहली सजा 22 सितंबर 2022 को मुख्तार को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में 7 साल की सजा सुनाई।
@उसके अगले ही दिन यानी कि 23 सितंबर 2022 को गैंगस्टर मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद
@15 दिसंबर 2022 को मुख्तार अंसारी को एडिशनल एसपी पर हमले समेत कुल 5 मामलों में 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
@इसके बाद गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को दो गैंगेस्टर एक्ट में सजा सुनाई जिसमें पहला केस 1996 में दर्ज हुआ था इसमें मुख्तार और उसके सहयोगी भीम सिंह को 10 साल की सजा सुनाई गई थी इसी मामले में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को भी 4 साल की सजा सुनाई गई थी।
@पांचवी सजा 5 जून 2023 दिन सोमवार को सुनाई गई जिसमें 3 अगस्त 1991 को वाराणसी के लहुराबीर इलाके में पूर्व विधायक आजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी 32 साल पुराने इस मामले में कई मोड़ आए इसमें अवधेश राय हत्याकांड की सुनवाई के दौरान मूल केस डायरी ही गायब हो गई थी जिसका पता तब चला जब चेतगंज थाना प्रभारी ने एमपी/ एमएलए कोर्ट में फोटो स्टेट केस डायरी दाखिल की थी कोर्ट में फोटो स्टेट दाखिल करने पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी। बहरहाल गवाह के रूप में अजय राय ने दरियादिली दिखाते हुए बिना डरे, बिना झुके अंततः अपनी गवाही दी जिसके कारण आज मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा वाराणसी के एमपी/ एमएलए कोर्ट ने सुनाई।
मुख्तार अंसारी का अपराध में पदार्पण
मुख्तार अंसारी पर सबसे पहला केस मंडी में ठेकेदारी को लेकर 1988 में हत्या 302 का मुकदमा गाजीपुर कोतवाली में दर्ज हुआ।इसी वर्ष मुख्तार अंसारी पर दूसरा हत्या का मुकदमा कोयले की ठेकेदार को लेकर वाराणसी के कैंट थाने में दर्ज हुआ। बताते चलें कि 90 के दशक में गाजीपुर एवं वाराणसी जिले में सरकारी ठेकों पर बृजेश सिंह गैंग का कब्जा था। जिसमें मुख्तार अंसारी ने अपनी दखलंदाजी देनी शुरू की जिसके बाद बृजेश सिंह एवं माफिया मुख्तार एक दूसरे के आमने-सामने आ गए।अक्टूबर 1988 में बुजेश सिंह के दोस्त त्रिभुवन सिंह के भाई हेड कांस्टेबल राजेन्द्र सिंह की हत्या मुख्तार अंसारी गिरोह के साधू सिंह ने कर दी इसके बाद मुख्तार और बृजेश एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। इधर माफिया मुख्तार अपना वर्चस्व बढ़ाते हुए धीरे-धीरे जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बनता गया। 1991 में मुख्तार के खिलाफ मोहम्मदाबाद और कोतवाली गाजीपुर में हत्या के दो मुकदमे दर्ज हुए जिसमें पहला मामला अभी विचाराधीन है जबकि दूसरे मामले में गवाहों एवं सबूतों के अभाव में वह बरी हो चुका है। 1991 में ही चंदौली जिले के मुगलसराय में भी मुख्तार के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ इसके बाद ©1996 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद मुख्तार अंसारी अपने वर्चस्व को बढाने के लिए राजनीतिक संरक्षण लेना शुरू किया तथा 1996 के विधानसभा चुनाव में जनपद मऊ के सदर विधानसभा से पहली बार बसपा का टिकट लेकर विधायक बना इसके बाद मुख्तार अंसारी पीछे मुड़कर नहीं देखा और बेलौस अपराध एवं राजनीतिक पिच पर बिना किसी बाधा के धुंआधार बैटिंग की।इसी क्रम में
©1996 में पुलिस उपाधीक्षक उदय शंकर पर जानलेवा हमला करने का मामला भी प्रकाश में आया जिसमें मुख्तार अंसारी का नाम सुर्खियों में था। इसके बाद
©1997 में कोयला व्यवसाई रुंगटा के अपहरण, फिरौती और उसके बाद हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का नाम जरायम की दुनिया में छा गया। इसके बाद
@ वर्ष 2002 में बृजेश सिंह एवं मुख्तार अंसारी के काफिले में आमना-सामना टक्कर हुई जिसमें मुख्तार अंसारी के 3 लोग मारे गए और मुख्तार अंसारी वहां से बच निकला ।
@सन् 2005 में मऊ में दंगा हुआ जिसमें दंगा भड़काने का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा और मुख्तार अंसारी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और तभी से अब तक 18 साल से जेल में बंद है।जेल में रहने के बावजूद भी मुख्तार के अपराध एवं राजनीति में कोई फ़र्क नहीं पड़ा। क्योंकि जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी ने सन् 2005 में ही कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आरोपी बना। साथ ही
@ वर्ष 2006 में कृष्णानंद राय हत्याकांड के महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का छींटा भी मुख्तार अंसारी के ऊपर आया। इसके बाद
@वर्ष 2008 एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का भी आरोपी मुख्तार अंसारी को बनाया गया था।
@इसके बाद मऊ के ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड और 2010 में मन्ना सिंह हत्याकांड के गवाह राम सिंह मौर्य की भी हत्या करवाने का आरोप लगा।इस प्रकार देखा जाए तो जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी के रास्ते का कोई कांटा नहीं बन पाया।
योगी सरकार ने नेस्तनाबूत कर दिया मुख्तार का किला
ऐसा माना जाता है कि 2017 में योगी सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी की उलटी गिनती शुरू हो गई थी।हांलांकि अपने पहले कार्यकाल में योगी का मुख्तार अंसारी पर बहुत असर नहीं दिख पाया था परंतु अपने दूसरे कार्यकाल में निश्चित तौर पर योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी के साम्राज्य की चूलें हिला कर रख दी हैं। यही कारण है कि उसके हर मुकदमें में गवाह बेख़ौफ़ होकर गवाही कर रहे हैं ंं इसी वजह से कोर्ट द्वारा भी लगातार मुख्तार अंसारी के खिलाफ फैसला भी आ रहा है। जबकि इससे पहले की स्थिति में फैसला देने से पहले जज या तो केस छोड़ देते थे या फिर मुकदमे को लटकाए रखते थे।अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अपराधियों के खिलाफ कड़े रुख को देखकर न सिर्फ आम जनता बेख़ौफ़ हुई है बल्कि कार्यपालिका एवं न्याय पालिका भी बिना किसी दबाव के निष्पक्ष न्याय कर रही है। जिससे मुख्तार अंसारी एवं उसके परिवार का बुरा दिन शुरू हो गया है। क्योंकि इस समय मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी एवं बहू जेल में हैं वहीं दूसरी तरफ बीबी असफां अंसारी एवं छोटा बेटा उमर अंसारी फरार चल रहे हैं।तथा बडा भाई अफजाल अंसारी भी जेल में है तथा सजा होने के कारण उसकी सांसदी भी समाप्त हो चुकी है।इस प्रकार देखा जाए तो मुख्तार का किला बुरी तरह भरभरा गया है।और यह माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी अपने जीवन की आखिरी सांस तक जेल की सलाखों के पीछे रहेगा।