मुख्तार की चुप्पी से मुस्लिम मतदाता भ्रमित

मऊ- नगर निकाय चुनाव में नगर पालिका परिषद मऊ की सीट इस बार खास चर्चा में बनी हुई है। कारण कि यह सीट लगभग 30 वर्षों से मुख्तार के पाले में रही है, परंतु इस बार मुख्तार अंसारी एवं उसके परिवार तथा करीबियों पर प्रशासन द्वारा लगातार कार्रवाई के चलते इस समय मुख्तार का वह लोग भी नाम लेने से बच रहे हैं जो कभी मुख्तार के नाम पर ठेका से लेकर जमींन पर अपना दबदबा बनाए हुए थे।यह सीट इस मायने में भी खास बन गई है कि ‌इसी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास मंत्री ए०के० शर्मा का पैतृक निवास है। तथा वह जी-जान से भाजपा प्रत्याशी अजय कुमार को जिताने की न सिर्फ कोशिश कर रहे हैं, बल्कि दावा भी कर रहे हैं। कारण कि सामान्य सीट होने के बावजूद एक दलित को टिकट देकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है‌। बताया जा रहा है कि नए परिसीमन के बाद इस सीट पर अनुसूचित वोटरों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है,जिससे भाजपा को भी पहली बार यह सीट हासिल करने की उम्मीद बढ़ी है।वहीं इस बार मुख्तार अंसारी का खुलकर किसी का समर्थन न करना मुस्लिम मतदाताओं को भी भ्रमित कर रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मऊ में चुनावी जनसभा कर चुके हैं, योगी के आने से पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वह कुछ ऐसा बोलेंगे जिससे हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण होगा साथ ही मुस्लिम मतदाता भी किसी एक पार्टी की तरफ एकजुट होंगे। परन्तु अपने नपे तुले संबोधन में ईशारे से बात करके मुख्यमंत्री का चले जाना मुस्लिम ध्रुवीकरण को धार नहीं दे पाया तथा रैली में अनुसूचित मतदाताओं की भारी भीड़ ने बसपा प्रत्याशी की चिंता बढा दी है‌।और अभी तक बसपा भाजपा की सीधी टक्कर की बात करने वाले राजनीतिक जानकार अब सपा, भाजपा की लड़ाई मानने लगे हैं। वहीं इस प्रतिष्ठापरक सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का 7 मई को आने की संभावना जताई जा रही है, और ऐसा माना जा रहा है कि यदि अखिलेश मऊ में आते हैं तो निश्चित तौर पर मुस्लिम मतदाताओं का सपा की तरफ ध्रुवीकरण होना तय है।बहरहाल इस समय की जो स्थिति है कि वह यह है कि नगर पालिका के ठेकेदार लोग बसपा के अरशद की हवा टाइट बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा का गृह जनपद होने के कारण वह भी हफ्ते भर से गांव गांव घूमकर विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं और मतदाताओं को समझा रहे हैं कि इस चुनाव में नेता को नहीं जनता को फायदा होगा अतः देश और प्रदेश सरकार के इंजन के साथ आप अपना भी तीसरा इंजन जोड़कर विकास के पहिए को गति दीजिए, वहीं सपा प्रत्याशी एवं नए चेहरे के रुप में आबिद अख्तर का कहना है कि पुराने नहीं नए चेहरे को चुनिए निष्पक्ष काम करुंगा और वैसे भी मऊ को नया चेहरा ज्यादा पसंद है खासतौर से मुस्लिम मतदाता जो खांटी सपा के वोटर माने जाते हैं यदि वह एकतरफा सपा पर वोट करते हैं तो नए परिसीमन में यादव मतदाताओं के वोट में भी भारी इजाफा हुआ है, और यादव मुस्लिम मिलाकर सपा भी इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बना सकती है। बहरहाल इस त्रिकोणीय लड़ाई में जीत का ताज किसके सिर बंधेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन अब तक की स्थिति में तीनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।

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