अरशद जमाल की पैतरेबाजी से मऊ नगर पालिका का बदला चुनावी रंग
37 साल पुरानी समाजवादी पार्टी छोड़ अरशद जमाल ने की हाथी की सवारी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिलाई सदस्यता, अरशद जमाल के आने से बसपा खेंमें आई नई जान।
रिपोर्ट-प्रवीण राय
मऊ-नगर पालिका परिषद में पूर्व चेयरमैन अरशद जमाल ने समाजवादी पार्टी से टिकट न मिलने के कारण 37 वर्षीय समाजवादी सदस्यता से भारी मन से ईस्तीफा देते हुए कहा कि मैं एक सच्चा समाजवादी सिपाही था और लगातार समाजवादी पार्टी के साथ ईमानदारी से लगा रहा परंतु दो बार चेयरमैन रहने के बाद भी एक ऐसे ब्यक्ति को टिकट दे दिया गया जिसका धरती पर कोई वजूद ही नहीं है। अरशद जमाल ने यह भी कहा कि यदि यह टिकट तय्यब पालकी को दिया जाता तो मुझे इतना कष्ट नहीं होता क्योंकि वह भी दो बार चेयरमैन रह चुके हैं और नेता हैं। बहरहाल अरशद जमाल ने बड़ा दांव खेलते हुए बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली तथा 24 अप्रैल को 12 बजे दिन में बसपा के सिंबल पर अपना नामांकन करने जा रहे हैं ऐसे में भाजपा के दांव भी उल्टे पड़ते नजर आ रहे हैं क्योंकि सामान्य सीट होने के बावजूद भी भाजपा ने बहुजन समाज पार्टी के कोऑर्डिनेटर रहे अनुसूचित जाति के अजय कुमार को यह सोचते हुए टिकट थमा दिया है कि नए परिसीमन के अनुसार मुसलमानों के बाद सबसे ज्यादा वोट हरिजनों का है।और हरिजन होने के कारण अजय कुमार को इसका लाभ मिलेगा तथा भाजपा के मूल वोटर तो मजबूरी में भी भाजपा को वोट देंगे। जबकि यहां यह समझना जरूरी है कि यह विधानसभा चुनाव नहीं है इसमें जमीनी नेता एवं स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं।ऐसी स्थिति में भाजपा के मूल कैडर के नेता को टिकट न मिलने के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में भी काफी रोष है उनका कहना है कि सामान्य सीट पर भी अनुसूचित को टिकट देना पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं का अपमान है। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी से टिकट पाए आबिद अख्तर से भी समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता खुश नहीं नजर आ रहे हैं और यह कहते फिर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी अपनी जीती हुई सीट हार गई। ऐसी स्थिति में अरशद जमाल का बहुजन समाज पार्टी से टिकट लेकर मैदान में उतरना सपा और भाजपा दोनों को भारी पड़ रहा है। बहरहाल भाजपा अपने मूल वोटरों के साथ अनुसूचित जाति का कितना वोट बटोर सकती है। तथा वहीं समाजवादी पार्टी अपने मूल वोटरों को कहां तक सहेज सकती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन अरशद जमाल के बसपा से टिकट लेने के चुनावी समीकरण को बदल दिया है राजनीतिक गुणा गणित वालों की मानें तो अरशद जमाल को सपा, भाजपा,और बसपा सभी वोटरों को रिझाने का भरपूर मौका मिल गया है परंतु वहीं यह सीट नगर विकास मंत्री एके शर्मा का गृह जनपद होने कारण भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठापरक बन गई है। तथा वह भी इस सीट को अपने पाले में लाने का कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। बहरहाल अरशद जमाल के बसपा से प्रत्याशी बनने के चुनावी रंग बदल गया है।