आजमगढ़ – उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर अपराध एवं भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की लगातार कवायद कर रही है वहीं सरकारी तंत्र अर्थात कर्मचारी भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं।मामला महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ का है जहां विश्वविद्यालय अभी पूरी तरह स्तित्व में भी नहीं आया है लेकिन कार्यरत विश्वविद्यालय के कर्मचारी इन दिनों खूब धनउगाही में लगे हुए हैं।
निर्धारित फीस से दुगना वसूला जा रहा है
जहां एक ओर केंद्र तथा राज्य सरकार लगातार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर उच्च शिक्षण संस्थानों का नवनिर्माण कर रही है ताकि निर्धन एवं गरीब बच्चे भी अपने आस पास उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें, वहीं सरकार के मंसूबे पर पानी फेरते हुए नवनियुक्त महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय का प्रशासनिक अमला लूट खसोट में अभी से लग गया है। दरअसल विश्वविद्यालय परिनियमावली के अनुसार स्नातकोत्तर कक्षाओं में 1हजार रुपया शुल्क रखा गया है वहीं महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय के प्रशानिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा यह शुल्क परीक्षा फीस के नाम पर दुगुनी वसूली जा रही है।
महाविद्यालय प्रबंधकों से भी हो रही है धनउगाही
सूत्रो द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दिनों महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय लूट खसोट के लिए दिन प्रतिदिन चर्चित होता जा रहा है। बताते चलें कि अभी तक विश्वविद्यालय का कार्य सुचारू रूप से चालू भी नहीं हो सका है ऐसी स्थिति में महाविद्यालय करने वाले प्रबंधकों को आए दिन कोई न कोई नई कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ इनकी कठिनाईयों का नाजायज फायदा उठाकर एक कोठरी में दो बाबुओं द्वारा संचालित यह विश्वविद्यालय इन बाबुओं की नोट छापने का विश्वविद्यालय बन गया है। इससे आजिज आकर कुछ महाविद्यालय अपनी मान्यता वापस करने तक का मन बना लिए हैं। मतलब यहां यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि गांव बसा नहीं गिद्ध आ गए ।
नोट- इस खबर को लिखने का उद्देश्य सरकार को बदनाम करने वाले इन भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पोल खोलकर बेनकाब करना है।