योगी बाबा आपके अधिकारी जनता का खून पी रहे हैं

सिटी मजिस्ट्रेट आफिस मऊ बना चर्चा का विषय

मऊ-इन दिनों अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में उत्तर प्रदेश सरकार का नाम पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां पहले उत्तर प्रदेश में खास पूर्वांचल अपराध का गढ़ माना जाता था,वहां संगठित अपराध को जड़ से खत्म करने में सरकार को बड़ी सफलता मिली है, साथ ही विगत विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभिभाषण कि ‘अपराधियों को मिट्टी में मिला दूंगा’ पूरे देश में न सिर्फ चर्चा का विषय बना रहा बल्कि अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी एवं उसके गुर्गों पर लगातार हो रही कार्रवाई से अपराध एवं अपराधियों की जड़ हिला कर रख दिया है।

सरकारी अमला कर रहा जनता का शोषण

मगर वहीं बात करते हैं अफसरशाही की तो इन दिनों बेलगाम होकर सरकारी कर्मचारी खूब धन उगाही कर जनता का शोषण कर रहे हैं। बताते चलें कि विगत समाजवादी सरकार में स्थानीय स्तर के नेता भी अपने को मंत्री और मुख्यमंत्री से कम नहीं आंकते थे, जिसका प्रभाव स्थानीय अधिकारियों पर रहता था और वह जनता के हितार्थ अपनी बात मनवाने में सफल रहते थे। परंतु इसके उलट देखा जाए तो यही स्थानीय नेताओं की ज्यादती भी देखने को मिलती थी तथा एक जाति और धर्म विशेष का जबरदस्ती अनर्गल कामों में हस्तक्षेप जनता की आंखों में चुभने लगा तथा विगत 2017 के चुनाव में जनता ने समाजवादी पार्टी को नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी पर यह सोचकर विश्वास किया कि यह किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे और हुआ भी ऐसा परंतु हालत यह है कि समाजवादी पार्टी की गलतियों से सीख लेते हुए भाजपा ने अपने संगठन के नेताओं तथा पदाधिकारियों सहित मंत्री और विधायक तक के अधिकारों को सीमित कर दिया जिसका नतीजा यह है कि अधिकारी इन नेताओं की बात सुनते ही नहीं हैं जिसके फलस्वरूप यह अधिकारी और कर्मचारी जनता का खून पीने का काम कर रहे हैं। बताना जरूरी है कि लोकतंत्र में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के साथ-साथ मीडिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, जब कभी कोई सिस्टम में गड़बड़ी होती है तो मीडिया उसको उजागर कर सरकार को सचेत करने का काम करती है। परंतु इन दिनों हालात यह है कि अधिकारियों के खिलाफ खबर चलाने पर यह मामले को डाइवर्ट करके सरकार की छवि को धूमिल बताकर उल्टे पत्रकार के ऊपर ही कार्रवाई करने का काम कर रहे हैं। जिससे लोकतंत्र के सशक्त प्रहरी मीडिया भी आज अपने को असहज महसूस कर रही है, जिसके फलस्वरूप यह सरकारी तंत्र लूट तंत्र में बदल गया है।

जनपद मऊ में सिटी मजिस्ट्रेट आफिस इन दिनों चर्चा में है

भ्रष्टाचार की बात करें तो इन दिनों जनपद मऊ में सिटी मजिस्ट्रेट आफिस चर्चा में बना हुआ है, कारण कि इस समय सिटी मजिस्ट्रेट के यहां से किसी भी मकान को नोटिस भेजकर उसको अतिक्रमण बताते हुए गिराने तथा नक्शा पास आदि का नाम लेकर विभागीय कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ बाहरी दलालों की सहायता से डील फाइनल करने का काम जोरों पर चल रहा है। आलम यह है कि बिना नोटिस के भी नवनिर्मित मकानों को सील कर डील की जा रही है। जिससे जनता में काफी आक्रोश व्याप्त है। मानक के विपरीत घर बना, बताकर किसी को भी नोटिस थमा कर डील करने की बात इस समय जोरों पर है। ऐसी स्थिति में कुछ लोग इन अधिकारियों की गणेश परिक्रमा कर अपने डील फाइनल कर ले रहे हैं तो कुछ विभागीय कर्मचारियों से तथा कुछ दलालों ‌से अपनी डील कर रहे हैं।मजे की बात यह है कि इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान भाजपा के कार्यकर्ता ही हैं कारण अधिकतर ब्यवसायिक प्रतिष्ठान भाजपा कार्यकर्ताओं के ही हैं और यह लोग अपनी सरकार मानकर जब पार्टी के नेताओं से फोन करवा रहे हैं तो साहब एकदम बिदक जा रहे हैं।कारण जो भाजपा के नेता बड़े संस्कारित ढंग से पैरवी करते हैं नेता जी अधिकारियों से कहते हैं देख लीजिए साहब जो उचित हो नियमानुसार कर दीजिए ऐसी बात सुनकर साहब कहते हैं जाओ जब नियम से आना है तो नियम का पालन करो मानक पूरा करके लंबी पेनाल्टी भरिए, बात नियमानुसार कार्य करने की किया जाए तो यदि सबकुछ नियमानुसार हो तो ऐसी स्थिति पूरा शहर ही ध्वस्त करना पड़ेगा।अब बेचारे पार्टी के पुराने कार्यकर्ता अपनी सरकार को ही कोस रहे हैं और कहते देखे जा रहे हैं कि आखिर योगी बाबा इन अधिकारियों पर कब नकेल कसेंगें? वहीं कुछ कार्यकर्ता जो साहब को नजदीक से जानते हैं बता रहे हैं कि इनका परिवार समाजवादी पार्टी का पदाधिकारी है इसलिए हम भाजपाइयों को यह परेशान कर रहे हैं। यह तो एक बानगी है इस प्रकार हर विभागों में “लूट सको तो लूट” वाली हालत बनी हुई है।अब सवाल यह है कि क्या इनके इस प्रकार के आचरण की खबर शासन सत्ता या योगी बाबा को नहीं है? और यदि है तो फिर इन पर कब तक अंकुश लगाया जाएगा? यह जनता पूछ रही है।उक्त उद्गार इन भ्रष्ट अफसरों से ब्यथित जनता का है,यही सूत्र हैं। इसमें पत्रकार से कुछ लेना देना नहीं है‌, ताकि सनद रहे।

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