इंदारा।पुराण अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवत भी कहते हैं। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष दायिनी है। यह कथा सुनने मात्र से ही मानव का कल्याण संभव है। कोपागंज विकास खंड अदरी नगर पंचायत के इंदारा स्टेशन रोड वार्ड चार के जन कल्याण श्री दुर्गा पूजा समिति मन्नत वाली माता मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार को कथा व्यास आचार्य अमित पांडेय ने यह बात कही।भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप अपने भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या करने को वट वृक्ष के नीचे बैठ गया। वहां देव गुरु बृहस्पति तोता का रूप धारण कर वृक्ष पर बैठ गए और नारायण नाम का रट लगाने लगा। आजिज हिरण्यकश्यप तपस्या छोड़ कर घर आ गया। पत्नी ने पूछा कि आप तपस्या छोड़कर क्यों चले आए तो उसने तोता की बात बताई। पत्नी ने भी भगवान के नाम का जप किया और भक्त प्रहलाद के रूप में बालक का जन्म हुआ। जब प्रहलाद गुरुकुल से घर आए तो हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या शिक्षा ग्रहण किए हो। इस पर प्रहलाद भगवान का गुणगान करने लगे। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो उठा लेकिन प्रहलाद ने भगवान की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्याक्ष अत्याचार करता रहा। उसने बहुत सारे कष्ट दिए। अग्नि में जलाया, पहाड़ से गिराया, उबलते हुए तेल में डाला और मारने का बहुत प्रयास किया। उसकी बहन होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका तो स्वयं जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रहलाद हंसते हुए अग्नि से बाहर आ गए।हर बार भगवान प्रहलाद को बचाते रहे। एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रहलाद ने जवाब दिया कि कण-कण में हैं और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यप ने तलवार निकाल कर खंभे पर वार कर दिया। तब नरसिंह के रूप में प्रकट होकर भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथाव्यास ने कथा के पूर्व पूजन-अर्चन कराया। इस अवसर पर भागवत गुप्ता, बजरंगी लाल,चंदन गुप्ता,दिलिप जयसवाल, प्रिंस गुप्ता, राजेश मद्धेशिया,सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।