प्रेम से पुकारने पर प्रभु भी बंधे चले आते हैं :: राघव ऋषि
एपीआई न्यूज एजेंसी गोला बाजार/गोरखपुर से- दिवाकर राय
*श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन*
उपनगर गोला स्थित सुन्दरम लाॅन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक राघव ऋषि ने कहा कि भगवान ने भोजन, धन, वस्त्र, स्त्री, घर और पुस्तक में माया को रखा है, इन वस्तुओं में ही सांसरिक मन फंसता है।श्री ऋषि ने कहा कि संसार समुद्र है जिसमें विषय-वासना रूपी जल भरा पड़ा है। जीव शरीर रूपी नौका पर सवार हो कर यात्रा में है, शरीर रूपी नौका में यदि वासना रूपी जल भर जाएगा तो नौका का डूबना सुनिश्चित है। इसी प्रकार संसार में रहते हुए भी संसार को अपने ऊपर हावी मत होने दो। ईश्वर ने जीभ को दो कार्य सौंप रखा है खाने व बोलने का, जीभ पर अधिक अंकुश की आवश्यकता है। क्योंकी जीभ के कारण ही महाभारत युद्ध हो गया। उन्होंने आगे कहा कि जन्म, मृत्यु, जरा व्याधि के दुखों पर विचार कर के वैराग्य उत्पन्न होता है और पाप छूटेंगे। निद्रा और विलास में रात्रि और धन प्राप्ति व कुटुम्ब पालन में दिन गुजर जाता है। जो समय बीत गया उसका विचार मत करो, वर्तमान को सुधारो ताकि भविष्य संवर सके। जो सोया रहता है वह लक्ष्य से भटक जाता है। जब तक संत नहीं मिलते हैं तब तक प्रभु की प्राप्ति नहीं होती है। कथा के अंत में उपस्थित भक्तजनों द्वारा श्रीमद्भागवत भगवान की आरती उतारी गयी। इस अवसर पर शत्रुघ्न कसौधन, मनोज उमर, राकेश गुप्ता, अजय मोदनवाल, कस्तूरी जयसवाल, राजकुमार हिन्दुस्तानी, बसंत यादव सहित सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहें।