भांवरकोल । पिछले तीन दिनों से हो रही कटान का कहर लगातार जारी है।हालत यह है कि कटान थमने का नाम नहीं ले रही है। छनबैया पुरवे के 90 वां मौजे से शेरपुर कलां गांव के दक्षिण बीती रात में दो दर्जन से अधिक किसानों का लगभग 12 बिगड़े फसल लगे खेत एवं कई पुराने पीपल आदि के पेड़ भी गंगा की धारा में समाहित हो गया।सब कुछ जानते हुए प़शासन की चुप्पी से किसान किंकर्तव्यविमूढ़ है। किसानों का कहना था कि अकेले जलालपुर मौजे में पिछले डेढ़ दशक से कटान में 500 एकड़ से अधिक खेती योग्य भूमि गंगा नदी की कटान से नदी में बिलिन हो गई। लेकिन किसानों को शासन प़शासन की ओर से किसी भी किसान को एक पाई की भी आर्थिक सहायता नहीं मिली।उपर से इस पंचायत के बिस्थापित परिवार आज भी खानाबदोश की तरह जीवन यापन को विवश हैं। इन बिस्थापित परिवारों के प़ति शासन की संवेदनहीनता से लोगों में बेहद गुस्सा है। लगातार बढ़ते जल स्तर के बावजूद अभी कटान का सिलसिला बदस्तूर जारी है।बाढ़ एवं सिंचाई विभाग के अधिकारी जरूर मौके पर पहुंचकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो दशक से कटान होने के बावजूद सेमरा एवं शिवराय के पुरवे की आबादी को छोड़कर शेरपुर कलां गांव के दक्षिण लगभग छः: किलोमीटर में कटान प़तिबर्ष हो रहा है। लेकिन सब कुछ जानते हुए शासन एवं जल संसाधन मंत्रालय की ओर से कटान रोधी कार्य के लिए कोई भी कार्य योजना पर अभी तक कोई पहल नहीं की गयी।जिसका खामियाजा यहां के किसान भुगतने को विवश हैं।