अफगानिस्तान में दो और प्रांतों और अफगान सेना की मदद के लिए भेजे गये एक भारतीय एमआई-24 हेलीकाप्टर पर तालिबान के कब्जे की सूचनाओं के बीच गुरुवार को दोहा में होने वाली बैठक के लिए भारत की तैयारी पूरी है। हालांकि भारतीय पक्ष अंदरखाने यह स्वीकार करने लगा है कि हालात वहां पहुंच गए हैं जहां दोहा या किसी और बैठक का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक तालिबान के हिंसक आक्रमण को रोकने के लिए कोई निर्णायक फैसला न हो। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने दैनिक जागरण को बताया है कि अफगानिस्तान को लेकर हमारे रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। दोहा बैठक के दौरान भी हम अफगानिस्तान के लोगों के नेतृत्व में ही समाधान निकालने का मुद्दा उठाएंगे और वहां लोकतांत्रिक परंपराओं, महिलाओं व अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की गारंटी की बात करेंगे।
क्या होगी भारत की रणनीति
अफगान में अपने हितों के खिलाफ माहौल जाते देख भारत की रणनीति यही रहेगी कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी तालिबान पर शांति समझौता करने के लिए एकजुट हो कर दबाव बनाये। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कहा है कि जिस तेजी से तालिबान अफगानिस्तान में एक के बाद एक शहरों को कब्जे में ले रहा है उसे देखते हुए इस बात के आसार कम ही हैं कि वह शांति समझौते के लिए तैयार होगा। सिर्फ पिछले पांच दिनों में नौ प्रांतों पर अफगानिस्तान का कब्जा होने की सूचना है।
तालिबान के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए भारत ने उठाया ये कदम
हालात की गंभीरता देख भारत ने मजार-ए-शरीफ स्थित अपने मिशन में काम करने वाले सभी अधिकारियों और उनके परिवार को वापस बुला लिया है। भारत सरकार की तरफ से भेजे गए एक विशेष विमान से तकरीबन 50 लोग नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। भारत ने यह फैसला तालिबानी सैनिकों के मजार-ए-शरीफ की सीमा पर पहुंचने के बाद किया। अब भारत की उपस्थिति मोटे तौर पर राजधानी काबुल में रह गई है। जिस तेजी से अफगानिस्तान सरकार के सैनिक तालिबान लड़ाकों के सामने नतमस्तक हो रहे हैं उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी मानने लगी है कि काबुल पर भी उनका कुछ हफ्तों में कब्जा हो जाएगा। बता दें दोहा में अमेरिका, रूस, चीन, पाकिस्तान के बीच पिछले दो दिन से वार्ता हो रही है। इस क्रम में गुरुवार को एक और अहम क्षेत्रीय वार्ता होगी जिसमें भारत, तुर्की, इंडोनेशिया व कुछ दूसरे देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।